रविवार, 4 अक्तूबर 2009

कब होगा अंत....


बस्तर के कई गांव आज भी बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं... मलेरिया, डायरिया जैसी बीमारियां यहां जानलेवा साबित होती हैं... करीब सौ स्कूल नक्सलियों के डर से बंद पड़े हैं.... बीजापुर जिले के उसुर इलाके के हजारों ग्रामीण करीब चार माह से अंधकार में जीने को मजबूर है... क्योंकि सामान्य से टैक्निकल प्रॉबल्म को दूर नहीं किया जा सका है...पूरे बारह महीने यहां जिंदगी चुनौती भरी होती हैं ... फिर वो तपती गर्मी हो या फिर मुसलाधार बारिश... प्रकृति की गोद में उससे लड़ते फिर उसी में दुबककर अपना जीवन काट रहे भोलेभाले आदिवासी आज नक्सलवादियों और सरकार के बीच की कठपुतली बनकर रह गए हैं... शासन जहां इन्हें सलवा जुडूम के सिपाही बना कर घर बार छोड़ने को मजबूर किए हुए हैं वहीं ... मओवादी इन्हें फिदाइन बनाकर पुलिस के खिलाफ जंग में झोंक रहे हैं...आखिर ये कब तक सहेगा आम बस्तरिया... कब ॥तक

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

क्यों पढ़ें

" यहां मिलेंगे दुनिया के सभी रंग .... यह एक ऐसा कैनवास है जिसमें रंगभर सकते हैं... और खुद सराबोर हो सकते हैं "