मंगलवार, 22 सितंबर 2009

वाह लुबना


लुबना एक सूडानी पत्रकार को उनके साथियों के साथ राजधानी खारतूम में इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि वो पैंट पहन कर एक रेस्टोरेंट गईं थीं। इसके बाद पुलिस के सामने ज्यादातर महिलाओं के ग़लती कबूलने के बाद उन्हें दस -दस कोड़े लगाकर छोड़ दिया गया, लेकिन लुबना ने हार नहीं मानी और इसके लिए वो संघर्ष कर रहीं हैं। इस मध्ययुगीन रवायत के बारे में विश्वभर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं ... लुबना के साहस को सराहा जा रहा है ...

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

खास


हैदराबाद के लिए 17 सितम्बर क्यों खास है,
यूं तो भारत 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ था लेकिन,तत्कालिन हैदराबाद स्टेट को निजाम से आजादी 17 सितम्बर 1948 को मिली थी। आप को बता दें इसके लिए हैदराबादियों ने एक लंबा संघर्ष, और भारतीय सेना को लड़ाई भी लड़नी पड़ी थी। हैदराबाद का भारतीय संघ में विलय कराने में लौह पुरुष की बेहद अहम भूमिका थी

मंगलवार, 15 सितंबर 2009

सोमवार, 14 सितंबर 2009

एक महान कृति से

एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला।।२६।

नहीं जानता कौन, मनुज आया बनकर पीनेवाला,
कौन अपिरिचत उस साकी से, जिसने दूध पिला पाला,
जीवन पाकर मानव पीकर मस्त रहे, इस कारण ही,
जग में आकर सबसे पहले पाई उसने मधुशाला।।२७।

बनी रहें अंगूर लताएँ जिनसे मिलती है हाला,
बनी रहे वह मिटटी जिससे बनता है मधु का प्याला,
बनी रहे वह मदिर पिपासा तृप्त न जो होना जाने,
बनें रहें ये पीने वाले, बनी रहे यह मधुशाला।।२८।
-मधुशाला

क्यों पढ़ें

" यहां मिलेंगे दुनिया के सभी रंग .... यह एक ऐसा कैनवास है जिसमें रंगभर सकते हैं... और खुद सराबोर हो सकते हैं "